नमसकर दोस्तों आज मैं आप सभी के लिए लेके आया हूँ deled 2nd सेमेस्टर के सभी विषय के hand writing नोट्स जो आपके लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। जिनको पढ़ करके आप सभी बहुत ही अच्छे अंक प्राप्त कर सकते है।
निर्देश-
1) सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न के निर्धारित अंक प्रश्न के सम्मुख दिए गए हैं।
2) इस प्रश्न पत्र में तीन प्रकार के प्रश्न हैं। वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के सही विकल्प छाँटकर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखें। अति लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर लगभग तीस (30) शब्दो में, लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर लगभग पचास (50) शब्दों में लिखिए
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जाने किस विषय में कितने नंबर पे पास होंगे आप
सभी विषयों की पासिंग मार्क चलिए साथ में आपको यह भी बता देते हैं कि आप किस विषय में कितने नंबर पर पास मारे जाएंगे उसका डिटेल में तालिका नीचे दी गई है
25 नंबर पूर्णांक वाले पेपर में 12 नंबर लाना अनिवार्य है वरना फ़ेल माने जाएँगे
50 नंबर वाले पूर्णांक में 25 नंबर लाना अनिवार्य है वरना फ़ेल माने जाएँगे
नोट –
अगर आप 25 पूर्णांक वाले पेपर में 12 नंबर से नीचे पाते है तो फ़ेल माने जाएँगे । वही अगर आप 50 पूर्णांक वाले पेपर में 25 नंबर से नीचे पायेंगे तो फ़ेल माने जाएँगे ।
Extra Tips –
याद रखे डीएलएड़ में बहुत ही ज़्यादा बैक लगता है इसलिये आप अपनी तैयारी अच्छे से बहुत ज़्यादा अच्छी तैयारी करे ताकि आप अच्छे अंकों से पास हों।
वर्तमान भारतीय समाज एवं प्रारम्भिक शिक्षा पाठ्यक्रम :
कक्षा शिक्षण : विषयवस्तु
खण्ड ‘क’ प्रारम्भिक शिक्षा
- शिक्षा की संकल्पना, अर्थ (प्राचीन तथा अर्वाचीन) एवं महत्व
- शिक्षा के उद्देश्य एवं वर्तमान भारत में शिक्षा के उद्देश्यों को प्रभावित करने वाले कारक
- शिक्षा के प्रकार – औपचारिक शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा, दूरस्थ शिक्षा
- प्रारम्भिक शिक्षा की पृष्ठभूमि –
- प्राचीन काल (गुरुकुल एवं बौद्धकालीन शिक्षा)
- मध्यकालीन शिक्षा (मुगलकालीन शिक्षा)
- आधुनिक शिक्षा (स्वतन्त्रता के पूर्व एवं पश्चात)
- प्रमुख शैक्षिक विचारधाराएँ एवं विचारक-
- आदर्शवाद
- प्रकृतिवाद
- प्रयोजनवाद
- भारतीय विचारक – विवेकानन्द, रविन्द्रनाथ टैगोर, महात्मा गाँधी, डॉ. राधाकृष्णन, गिजूभाई बधेका
- पाश्चात्य विचारक (प्लेटो, रूसो, जॉन डीवी, फ्रोबेल, मारिया मॉन्टेसरी)
खण्ड ‘ख’ शिक्षा और समाज
- शिक्षा और समाज का अन्तः सम्बन्ध ।
- शिक्षा के प्रभावी कारक-परिवार, समाज, विद्यालय, राज्य एवं जनसंचार साधन ।
- शिक्षा और सामाजिक परिवर्तन-सामाजिक परिवर्तन के कारक ।
- विद्यालय और समुदाय का सम्बन्ध – विद्यालय : सामुदायिक केन्द्र के रूप में।
- उभरते समाज के प्रमुख मुद्दे-
- शिक्षा का सार्वभौमीकरण एवं शैक्षिक अवसरों की समानता
- शिक्षा का व्यावसायीकरण एवं इस पर नियन्त्रण
- बचपन छीनता बलश्रम – निःशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा में बाधक
- जनसंख्या शिक्षा- अर्थ, आवश्यकता, महत्व एवं समयानुरूप मानव संसाधन का विकास
- जातिवाद, अलगाववाद, साम्प्रदायिकता एवं इसके दुष्परिणाम, सामाजिक/पारस्परिक सौहार्द व समरसता वर्तमान आवश्यकता
- पर्यावरण प्रदूषण एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता
- जलसंचयन-ऊर्जा एवं भूमि संरक्षण
- भूमण्डलीय ताप वृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग) एवं जलवायु परिवर्तन
- भूमण्डलीकरण
- लैंगिक असमानता तथा उसका प्रभाव, शिक्षा द्वारा लैंगिक समानता के प्रति समझ व संवेदनशीलता का विकास
- जनसंचार माध्यमों की बढ़ती भूमिका और समाज पर इनका बहुआयामी प्रभाव
- शिक्षा एवं मानवीय मूल्य-
- मानवीय मूल्यों की शिक्षा- अर्थ एवं उद्देश्य
- मूल्यों के विकास में परिवार, समाज और विद्यालय की भूमिका
- राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना की शिक्षा
- लोकतान्त्रिक, वैज्ञानिक एवं तकनीकी दृष्टिकोण का विकास
शिक्षा का अर्थ (MEANING OF EDUCATION):
शिक्षा को सामान्यतः जिस अर्थ में प्रयुक्त किया जाता है, वह शिक्षा के सीमित अर्थ को अभिव्यक्त करता है। इस सामान्य प्रयोग में शिक्षा का अर्थ विद्यालयी, महाविद्यालयी, विश्वविद्यालयी औपचारिक शिक्षा तक सीमित है। परन्तु शिक्षा इन औपचारिकताओं में आबद्ध नहीं है। शिक्षा तो आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है जो जन्म से मृत्यु तक चलती रहती है। वरन् भारतीय अवधारणा के अनुसार तो शिशु माता के गर्भ से ही सीखना प्रारम्भ कर देता है। अभिमन्यु इसका उदाहरण है कि उसने चक्रव्यूह तोड़ने की कला अपनी माता के गर्भ में रहते हुए ही सीख ली थी और आवश्यकता पड़ने पर उसका उपयोग किया ।
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प्रारम्भिक शिक्षा के नवीन प्रयास Notes – Click here
Social Science सामाजिक अध्ययन Notes – Click here
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